शनिवार, 13 अक्तूबर 2007

बचपन में -मां सरस्वती की वंदना ऒर मॆं


चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

आज भी मुझे अच्छी तरह याद हॆं,वे बचपन की बातें. मॆं छठी कक्षा में पढता था ऒर मेरी बहन चॊथी में.हमारी मां हमें पढने के लिए,सुबह चार बजे जगा देती थी.हम उठकर पहले मुंह-हाथ धोते थे,उसके बाद,मां के कहे अनुसार- सरस्वती-वंदना-
’सरस्वती का धरके ध्यान
जिससे होता निर्मल ज्ञान
तुम हो माता
ज्ञान की दाता
तुमरही ध्यान धरू दिन-राता..’
इस सबके बाद ही हम अपना पाठ याद करते थे. हमारी मां का दावा हॆ कि सरस्वती वंदना करने से पाठ जल्दी याद होता हॆ.
जो बच्चा नित्य-नियम से सरस्वती वंदना के बाद,अपनी पढाई शुरू करता हॆ वह पढाई में हमेशा तेज रहता हॆ,कभी फेल भी नहीं होता.मॆंने मां के डर से आंठवी क्लास तक तो उनके आदेश का पालन किया.उसके बाद मेरा मन पढाई में तो लगा,लेकिन सरस्वती वंदना में बिल्कुल नहीं. मेरे सभी सात बहन-भाईयों ने मां की हिदायत का पूरी तरह से पालन किया.उन्होंने कभी भी बिना सरस्वती वंदना के,कोई किताब तक नहीं खोली.मां के साथ बॆठकर घण्टों तक उस ऊपरवाले की आराधना भी की.मंदिरों में खूब घण्टी भी बजाई,लेकिन कोई आठवीं क्लास में लुठक गया तो कोई नवीं में.कोई भी दसवीं क्लास तक नहीं पहुंच पाया.मॆंने आठवीं क्लास के बाद सरस्वती-वंदना बंद करने के बावजूद,एम०ए० तक की पढाई की.अभी भी,मुझे सबसे ज्यादा आनन्द पुस्तक पढने व लिखने में आता हॆ.मॆं अभी तक नहीं समझ पाया हूं, कि मेरी मां की प्रार्थना सरस्वती मां ने क्यों स्वीकार नहीं की? मेरे सभी बहन-भाई उस ऊपर वाले के पक्के भक्त हॆं, नित्य-नियम से उसके सामने घण्टी बजाते हॆ, फिर भी......

6 टिप्‍पणियां:

Asha Joglekar ने कहा…

सरस्वती की वंदनी तो अचछी ही है । पर अगर पढाई न करो तो माँ सरस्वती क्या करें । अपना काम पक्का करो तब ही माँ मदद की सकती हैं ।

Randhir Singh Suman ने कहा…

फिर भी......nice

The Bihar Vikas Vidyalaya ने कहा…

मै आप के विचारो से सहमत हू ,बहुत सुकून मिलता है विचारो को जाहिर कर देने पे .......

प्रताप सहगल ने कहा…

tumhaari dayari ke kuchh ansh padh kar achchha laga ki koi aur bhi hai jo meri tarah sochta hai. ghantiyan aur ghadiyaal bajaane valon se to bharat bhara pada hai. unse asli muddon par baat karo to ve baglen jhhankte nazar aayenge. meri shubhkamnyayen. aur aage bado. padh kar aur kaam kar ke. ghantiyan bajane se kuchh na hoga.

विनोद पाराशर ने कहा…

धन्यवाद मित्रों!
आपकी टिप्पणियां तो बहुत पहले मिल गयी थीं,लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से,उन्हें पढ नहीं पाया.सहगल साहब-इस मामले में मॆं भी आपके जॆसा ही हूं.जॆसे ही समय मिलेगा,डायरी के कुछ ऒर पन्ने आपके सामने लेकर हाजिर हो जाऊंगा.

Sanjay Grover ने कहा…

Achchha kiya Vinod ji. Chalte rahiye.