बुधवार, 2 मार्च 2011
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मेरे मॊहल्ले के सभी लोग उसे नास्तिक कहते हॆ.बडा अजीब शख्स हॆ,जब भी मॊह्ल्ले में कोई धार्मिक आयोजन होता हॆ,यदि गलती से उसके पास आर्थिक-सहयोग लेने चले जाओ,तो भाषण देना शुरु कर देगा,लेकिन धर्म के नाम पर फूटी कोडी नहीं देगा.उसकी एक डायरी हमारे हाथ लगी हॆ. डायरी के कुछ पन्ने आपके सम्मुख प्रस्तुत हॆं:-
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